दोस्तों, आप ने आज के इस डिजिटल दुनियाँ में Url (यूआरएल) का नाम तो सुना ही होगा , तब शायद आपके मन में यह प्रश्न आया होगा की यह Url क्या होता है (Url Kya Hota Hai), Url का फुल फॉर्म क्या है (Url Full Form), तो आज हम आपको इस ब्लॉग में Url के विषय में ही बताने वाले है।
जिस प्रकार से हमारे घर का एक पता होता है जिससे कोई भी वहाँ आसानी से पहुँच सकता है , उसी प्रकार Url किसी वेबसाइट या वेब पेज का पता (Address) होता है। जिसके माध्यम से हम उस वेबसाइट या उसके किसी वेब पेज तक पहुँच सकते हैं या उसे ब्राउज़र में देख सकते है ।
जैसे की अभी आप इस ब्लॉग को पढ़ रहे यह भी एक वेब पेज है , जिसका Url है - https://mvhindipoint.com/url-kya-hai
अब अगर आप इस ब्लॉग को पूरा पढ़ते है आपको इस ब्लॉग में दी गयी जानकारी अच्छी लगती है और आप इस ब्लॉग पोस्ट के बारे में अपने किसी मित्र को बताना चाहते है तो आपको सिर्फ इस ब्लॉग के यूआरएल को अपने दोस्त के पास भेजना होगा जिससे आपका मित्र सीधे ही इस ब्लॉग पर पहुँच जायेगा और इस ब्लॉग को पढ़ लेगा ।
इस प्रकार अब आप ये तो समझ ही गए होंगे की url क्या है , अब हम आपको बताएँगे की URL का फुल फॉर्म क्या है -
URL का फुल फॉर्म (full form) - Uniform Resource Locator है ।
Url एक एड्रेस होता है , जिसे वेब एड्रेस कहते हैं । यह इन्टरनेट पर उपलब्ध वेब पेज का पता होता है , जिसका उपयोग करके इंटरनेट से जानकारियों को प्राप्त किया जाता है । इन्टरनेट पर जो भी जानकारियाँ होती हैं वे सभी वेब पेज पर उपलब्ध होती हैं , और इन वेब पेजों का एक नाम होता है जिसे डोमेन नाम (Domain Name) कहते हैं ।
एक डोमेन नाम से एक या एक से अधिक वेब पेज जुड़े हो सकते हैं , जिसे वेबसाइट कहते हैं । जैसे हमारी इस वेबसाइट का डोमेन नाम mvhindipoint.com है , इसी तरह से गूगल की वेबसाइट का डोमेन नाम google.com है
जब हमें इन्टरनेट पर किसी वेबसाइट से कोई जानकारी प्राप्त करनी होती है तो हम इनके डोमेन नाम को ब्राउज़र में सर्च करके इन वेबसाइट तक पहुचते हैं , परन्तु ब्राउज़र को इन वेबसाइट पर जाने के लिए डोमेन नाम के साथ - साथ इस वेबसाइट की कुछ और जानकारियों की आवश्यकता होती है ।
जैसे - Http या Https , डोमेन नाम (Domain Name) और रिसोर्स (Resource) इन सभी का उपयोग करके Url बनता है । ये सभी Url के ही भाग होते है , आईये अब हम इनके विषय में और विस्तार से समझते हैं की यूआरएल (URL) के भाग क्या है ।
इन्टरनेट पर किसी वेबसाइट के Url के मुख्यतः तीन भाग होते हैं , जैसे हमारी वेबसाइट MV HINDI POINT के इस पेज का URL है - https://mvhindipoint.com/url-kya-hai , इसमें प्रथम भाग है https , दूसरा भाग है डोमेन नाम (mvhindipoint.com) एवं तीसरा और अंतिम भाग है रिसोर्स (url-kya-hai) आईये यूआरएल (URL) के इन तीनो भाग को एक - एक करके समझते हैं -
(1) प्रोटोकॉल (Protocol) : Url का पहला भाग है protocol जो की http या https होता है । HTTP फुल फॉर्म ( Hyper Text Transfer Protocol ) और HTTPS का फुल फॉर्म ( Hyper Text Transfer Protocol Secure ) होता है । प्रोटोकॉल का अर्थ होता है नियमों का समूह । URL के इन्ही नियमों का उपयोग करके ब्राउज़र , वेबसाइट के सर्वर (Server) को रिकवेस्ट भेजता है , और वेबसाइट का सर्वर उसके रिजल्ट को ब्राउज़र पर सेंड (Send) करता है ।
अर्थात हम कह सकते हैं की प्रोटोकॉल्स (Protocols) का उपयोग करके ही Web Client ( यूजर का ब्राउज़र ) और Web Server (इन्टरनेट पर वह कंप्यूटर जहाँ वेबसाइट होस्ट रहती है ) दोनों एक दुसरे से Communicate (सम्पर्क ) करते हैं ।
(2) डोमेन नाम (Domain Name) : किसी वेबसाइट के URL में डोमेन नाम को उस वेबसाइट का नाम भी कहते हैं । वेबसाइट एक सर्वर पर होस्ट होती हैं और उस सर्वर से वेबसाइट को ब्राउज़र में देखने के लिए हमे उस सर्वर के Ip Address का उपयोग करना होता है । इन ip address को याद रखना कठिन होता है इस लिए इनके स्थान पर हम डोमेन नाम का उपयोग करते हैं ।
(3) रिसोर्स (Resource) : वेबसाइट के url में रिसोर्स तीसरा और अंतिम भाग होता है , यह भाग हमे वेबसाइट पर उसके वेब पेज को दिखाता है ।
दोस्तों, सर्वप्रथम URL (Uniform Resource Locator) के विषय में टिम बर्नर्स -ली ने दुनियाँ को बताया , उनके अनुसार यह (url) एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो वेब पेजों का पता (address) होती है । जिसके माध्यम से हम किसी भी वेब पेज को इन्टरनेट पर आसानी से खोज सकते हैं।
टिम बर्नर्स -ली द्वारा यूआरएल (url) के आविष्कार के बाद से World Wide Web पर वेबसाइट या वेब पेज का निर्माण होता गया और आज इन्टरनेट पर वेब पजों का जाल बन चूका है ।
Url दो प्रकार के होते हैं -
(1) Absolute Url - वह Url जिसका उपयोग हम उस समय करते हैं जब हमें इन्टरनेट पर किसी वेब पेज तक पहुचना होता है , जिसके लिए हमें ब्राउज़र में उस वेब पेज का पूरा यूआरएल (Url ) लिखना पड़ता है ।
जसे अगर आपको हमारे इस ब्लॉग को अपने ब्राउज़र में खोलना हो तो आपको हमारे इस ब्लॉग के वेब पेज का पूरा एड्रेस (address) https://mvhindipoint.com/url-kya-hai लिखना होगा इसे ही Absolute Url कहते हैं ।
(2) Relative Url - वह Url जिसका उपयोग हम उस समय करते है जब हम किसी वेबसाइट को ब्राउज़र में खोले होते हैं और हमें उस वेबसाइट के किसी एक पेज से दुसरे पेज पे जाना होता है ।
जैसे अभी आप हमारे वेबसाइट के /url-kya-hai पेज पर हैं जहाँ आप url के विषय में पढ़ रहे है अब अगर आपको हमारे वेबसाइट पे कंप्यूटर के विषय में पढना चाहते है तो आपको ब्राउज़र के url bar में https://mvhindipoint.com के आगे से /url-kya-hai को हटा के /computer-kya-hai लिखना होगा जिससे की आप उस दुसरे वेब पेज पर चले जायेंगे इसे ही Relative Url कहते हैं ।
इन्टरनेट पर हम जितनी भी वेबसाइट को देखते हैं , उन सभी का एक ip address होता है यह ip address ही उस वेबसाइट का पता होता है । जिससे हम उस वेबसाइट तक पहुँच पते हैं या उसे अपने ब्राउज़र में देख पाते है ।
परन्तु ip address एक Numerical Value (गणितीय संख्या ) होती है इस लिए इसे याद अर्खना बेहद कठिन होता है । इसीलिए इन ip address को DNS ( Domain Name System ) की मदद से एक डोमेन नाम में बदल दिया जाता है । इसे याद रखना भी आसान होता है ।
जब हम किसी वेबसाइट को देखने के लिए अपने ब्राउज़र में उसके डोमेन नाम को सर्च करते हैं तो हमारा ब्राउज़र DNS Server को रिकवेस्ट भेजता है जहाँ उस डोमेन नाम को उसके ip address में बदल दिया जाता है और हम वेब सर्वर (Web Server ) से उस वेबसाइट को हमारे ब्राउज़र में देख पाते हैं ।
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