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दोस्तों , कंप्यूटर के आविष्कार के बाद से हमारे जीवन में कार्य करने के तौर - तरीकों में काफी बदलाव आया है , हमारे आस - पास काम - काज के स्थानों ( जैसे - स्कूल , कॉलेज , कम्पनिओं और व्यवसायों आदि ) पर कंप्यूटर की बढती उपयोगिता के कारण लोगों के मन में कंप्यूटर क्या है , कंप्यूटर कैसे काम करता है , कंप्यूटर का आविष्कार कब हुआ आदि सवालों के जवाब जानने की काफी उत्सुकता होती है ।
आज के इस डिजिटल युग में कंप्यूटर के विषय में जानकारी रखना अति आवश्यक हो गया है । आज हम इस पोस्ट ( कंप्यूटर क्या है ) के माध्यम से आपको कंप्यूटर के विषय में अधिक से अधिक और कंप्यूटर से जुड़ी रोचक जानकारियाँ आप तक पहुचने का प्रयास करेंगे ।
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है । कंप्यूटर शब्द , अंग्रेजी के कंप्यूट शब्द से बना है , जिसका अर्थ होता है गणना करना । प्रारम्भ में कंप्यूटर का निर्माण कई प्रकार की गणनाओं को करने के लिए ही किया गया था ।
कंप्यूटर किसी कार्य को करने के लिए यूजर से डाटा को इनपुट के रूप में लेता है , और दिए गए निर्देशों के आधार पे उस डाटा को प्रोसेस करने के बाद आउटपुट के रूप में उसका रिजल्ट प्रदर्शित कर देता है ।
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जो यूजर इनपुट को प्रोसेस करके एक अर्थपूर्ण (Meaningful) आउटपुट प्रदान करता है
अर्थात, कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र है , जो यूजर द्वारा भिन्न प्रकार के इनपुट डिवाइस के माध्यम से प्रदान किये गए डाटा(Data) को संग्रहित करके, उस डाटा को मेमोरी (Memory) में स्थित निर्देशों(Instructions) के अनुसार क्रमबद्ध रूप से विश्लेषण करने बाद, उस डाटा को उपयोगी सुचना (Information) के रूप में परिवर्तित करके, आउटपुट डिवाइस के माध्यम से यूजर को परिणाम प्रदर्शित करता है।
कंप्यूटर को हिंदी में "संगणक" कहते है , जिसका अर्थ है गणना करने वाली मशीन, यद्यपि प्रारम्भ में कंप्यूटर के निर्माण का उद्देश्य भी गणना करने वाली मशीन बनाना ही था।
कंप्यूटर विशेषज्ञों के अनुसार कंप्यूटर का कोई फुल फॉर्म नहीं है, कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति "कम्प्युट" शब्द से हुयी है, परन्तु एक काल्पनिक फुल फॉर्म जो की बहोत ही प्रचलित है इस प्रकार है -
C - Commonly
O - Operated
M - Machine
P - Particularly
U - Used
T - Technical
E - Educational
R - Research
शुरूआती दौर में कंप्यूटर पे काम करना करना बेहद कठिन हुआ करता था , परन्तु समय के साथ - साथ कंप्यूटर में इस प्रकार बदलाव किये गए की , कोई भी सामान्य व्यक्ति बेहद सरल तरीके से अपना काम कंप्यूटर की मदद से कर सकता है ।
परन्तु कंप्यूटर को आप जितनी सरलता से काम करते देखते है , वास्तव में कंप्यूटर के लिए वह कार्य उतना आसान नहीं होता है , क्योकि कंप्यूटर हमारे द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा ( हिंदी , अंग्रेजी आदि ) को नहीं समझ सकता है । कंप्यूटर सिर्फ मशीनी भाषा जिसे बाइनरी भाषा (Binary Language) को ही समझ सकता है , जो के 0 और 1 के रूप में होती हैं ।
यूजर जब अपनी भाषा में कोई इनपुट कंप्यूटर को देता है या किसी की (Key) को दबाता है तो , उस इनपुट को पहले बाइनरी भाषा में बदला जाता है फिर उसे यूजर के निर्देशों (Instruction) के अनुसार प्रोसेस किया जाता है और फिर प्राप्त रिजल्ट को पुनः बाइनरी भाषा से यूजर की भाषा में बदल कर उसे आउटपुट के रूप में यूजर को प्रदर्शित किया जाता है । कंप्यूटर के काम करने के प्रोसेस को 3 भागों में बाँटा गया है -
कंप्यूटर पर किसी कार्य को करने के लिए यूजर द्वारा कंप्यूटर को जो डाटा दिया जाता है उसे कंप्यूटर द्वारा इनपुट डाटा के रूप में स्वविकार किया जाता है ।
यूजर से प्राप्त इनपुट डाटा को कंप्यूटर द्वारा यूजर के निर्देशों के अनुसार विश्लेष्ण करने के बाद उसे जरुरी सुचना के रूप में बदला जाता है ।
कंप्यूटर द्वारा यूजर को इनपुट डाटा को प्रोसेस करने के बाद परिणाम (Result) के रूप में जो सुचना प्राप्त होती है उसे कंप्यूटर आउटपुट डाटा के रूप में यूजर के लिए उपलब्ध कराता है।
ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने कंप्यूटर का आविष्कार किया था, इसलिये "चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जन्मदाता (Father of Computer) कहा जाता है"।
सन 1820 में चार्ल्स बैबेज ने एक ऐसा यंत्र बनाया जो बिजगणितीय फलनों का मान दशमलव के 20 स्थानों तक शुद्धतापूर्वक ज्ञात कर सकता था, इस यंत्र को डिफरेंस इंजन कहा जाता था।
इस यंत्र की उपयोगिता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की, यह यंत्र गणितीय सरणियों को बस कुछ ही मिनटों में तैयार कर देता था जिसका उपयोग उस समय डाकघरों , बिमा कंपनियों और रेलवे में बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता था।
अपने इस यंत्र के उपयोगी सिद्ध होने से प्रेरित हो कर लगातार नए प्रयोग करते रहे और सन 1833 में चार्ल्स बैबेज ने ऐनालिटीकल इंजन बनाया परन्तु धन के अभाव में इस यंत्र के निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं हो सका , और 1871 में चार्ल्स बैबेज का देहांत हो गया।
सन 1888 में चार्ल्स बैबेज के बेटे हेनरी बैबेज ने ऐनालिटीकल इंजन के निर्माण को पूर्ण किया , ऐनालिटीकल इंजन आज के आधुनिक कंप्यूटर से काफी मिलता जुलता था इस यंत्र में भी आज के कंप्यूटर के तरह ही इनपुट, स्टोरेज, मील, कण्ट्रोल और आउटपूट जैसे भाग थे ।
Dr. John V. Atanasoff और Clifford Berry ने सन 1937 में सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (Electronic Computer) का अविष्कार किया जिसका नाम ABC (Atanasoff-Berry Computer) रखा गया ।
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