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किसी व्यक्ति , वास्तु , स्थान , गुण , अथवा भाव के नाम को ही संज्ञा कहते हैं ।
अर्थात , संज्ञा का अर्थ नाम होता है , जो की किसी व्यक्ति वास्तु स्थान अथवा भाव की पहचान कराता है ।
इस पोस्ट में हम जानेंगे की संज्ञा किसे कहते हैं (sangya kise kahate hain) और संज्ञा की परिभाषा (sangya ki paribhasha) इत्यादि के विषय में। संज्ञा की परिभाषा को तो हमने इस पोस्ट की शुरुआत में ही ऊपर देख लिया है । यह परिभाषा छोटी और कम शब्दों में जरुर है लेकिन यही संज्ञा की वास्तविक परिभाषा है।
दोस्तों , संज्ञा की परिभाषा को छोटे रूप में जानना आवश्यक भी है , क्योकि बहोत से लिखित परीक्षाओं में हमे संज्ञा की परिभाषा को लिखने को कहा जाता है । अब हम संज्ञा को विस्तारपूर्वक समझेंगे और जानेंगे की संज्ञा क्या है (sangya kya hai)।
दोस्तों , हमने संज्ञा की परिभाषा (sangya ki paribhasha hindi mein) को देखा और अगर अब हम ये जान ले की संज्ञा क्या है , तो हमे संज्ञा की परिभाषा (sangya definition in hindi) को समझना और भी आसान हो जायेगा ।
संज्ञा का अर्थ है किसी व्यक्ति , वास्तु , स्थान , गुण अथवा भाव को एक उचित नाम देना । अर्थात जब हम किसी व्यक्ति वास्तु , स्थान अथवा भाव को कोई नाम देते हैं , तो उस नाम को ही संज्ञा कहते हैं । इस प्रकार हम कह सकते हैं की संज्ञा ही किसी व्यक्ति , वास्तु , स्थान , गुण , अथवा भाव की एक पहचान होती है।
जब हमें किसी व्यक्ति , वास्तु , स्थान , गुण अथवा भाव के बारे में किसी को बताना होता है तो हम उसे उसके नाम से ही पहचान कराते हैं ।
ऊपर दिये गए उदाहरणों में -
सोहन - एक व्यक्ति का नाम है।
दिल्ली - एक स्थान का नाम है।
इमानदार - एक गुण है।
किताब - एक वास्तु का नाम है।
ये सभी नाम एक संज्ञा हैं , जो की किसी व्यक्ति , वास्तु , स्थान अथवा भाव को बताते हैं।
संज्ञा की परिभाषा , संज्ञा क्या है और संज्ञा के उदाहरण को अब तक हमने समझ लिया है। परन्तु , संज्ञा को और विस्तार से समझने के लिए हमे संज्ञा के कितने भेद होते है (sangya ke kitne bhed hote hain) या दुसरे शब्दों में संज्ञा कितने प्रकार के होते हैं (sangya kitne prakar ke hote hain) इत्यादि को भी समझना आवश्यक है ।
इस शीर्षक व्यक्ति वाचक संज्ञा (vaykti vachak sangya) के अन्तर्गत हम जानेंगे की व्यक्तिवाचक संज्ञा क्या है (vyakti vachak sangya kya hai) । व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण (vyaktivachak sangya ke udahran) आदि के विषय में ।
व्यक्तिवाचक संज्ञा से किसी खास व्यक्ति या किसी विशेष स्थान के नाम का बोध होता है ।
जैसे - (1) यमुना (2) कबीरदास (3) दिल्ली
इस शीर्षक भाव वाचक संज्ञा (bhav vachak sangya) के अन्तर्गत हम जानेंगे की भाववाचक संज्ञा क्या है (bhav vachak sangya kya hai) । भाववाचक संज्ञा के उदाहरण (bhavvachak sangya ke udahran) आदि के विषय में ।
भाववाचक संज्ञा से किसी वास्तु या व्यक्ति के गुण , दशा अथवा धर्म का बोध होता है।
जैसे - (1) मित्रता (2) मिठास (3) शीतलता
इस शीर्षक समूह वाचक संज्ञा (shamuh vachak sangya) के अन्तर्गत हम जानेंगे की समूहवाचक संज्ञा क्या है (samuh vachak sangya kya hai) । समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण (samuhvachak sangya ke udahran) आदि के विषय में ।
समूहवाचक संज्ञा से किसी व्यक्ति या वास्तु के समूह का बोध होता है।
जैसे - (1) व्यक्तियों का समूह अर्थात मेला या सभा (2) जानवरों का समूह अर्थात किसी जानवर का झुण्ड ( हिरणों का समूह जिसे हिरनों का झुण्ड भी कहते हैं।) (3) किताबों का समूह अर्थात पुस्तकालय
इस शीर्षक जाति वाचक संज्ञा (jati vachak sangya) के अन्तर्गत हम जानेंगे की जातिवाचक संज्ञा क्या है (jati vachak sangya kya hai) । जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण (jativachak sangya ke udahran) आदि के विषय में ।
जातिवाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जिसमे एक संज्ञा शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों (मनुष्य , जीव - जंतु) अथवा वास्तुओं का बोध हो।
जैसे - (1) पेड़ - इस संज्ञा शब्द से हमे वृक्षों के जाती का बोध होता है। (2) चिड़िया - इस संज्ञा शब्द से हमे पक्षियों के जाती का बोध होता है।
इस शीर्षक द्रव्य वाचक संज्ञा (drvy vachak sangya) के अन्तर्गत हम जानेंगे की द्रव्यवाचक संज्ञा क्या है (drvy vachak sangya kya hai) । द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण (drvyvachak sangya ke udahran) आदि के विषय में ।
द्रव्यवाचक संज्ञा वह संज्ञा शब्द होता है जिसमे किसी शब्द से किसी द्रव्य अर्थात किसी पदार्थ या वस्तु का बोध होता है उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे - जल , तेल , पीतल , लकड़ी इत्यादि।