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आज का हमारा यह ब्लॉग पोस्ट भारत के महान प्रतापी राजा और पराक्रमी योद्धा , महाराणा प्रताप जी के विषय में आपको कुछ महत्वपूर्ण जानकरी देने के लिए है।
आज हम महाराणा प्रताप जी के विषय में उन जानकारियों को इस ब्लॉग में देंखेंगे जिनके विषय में लोग बहोत ज्यादा सवाल पूछते हैं। जैसे - महाराणा प्रताप जयंती (maharana pratap jayanti) , महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ एवं महाराणा प्रताप का इतिहास (maharana pratap history in hindi) इत्यादि के विषय में।
बहोत से लोगों के मन में महाराणा प्रताप जी के नाम को लेकर संशय बना रहता है। लोग जानना चाहते हैं , की महाराणा प्रताप का पूरा नाम क्या है ? यहाँ आज हम आपको बता दें की महाराणा प्रताप जी का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसौदिया था।
महाराणा प्रताप जी का जन्म राजस्थान के मेवाड़ में 9 मई 1940 को हुआ था। हिंदी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप जी का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीय रविवार विक्रम संवत् 1597 को बताया जाता है।
महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह था। और महाराणा प्रताप की माता का नाम महारानी जयवंती बाई था।
महाराणा प्रताप एक ऐसे वीर योद्धा थे , जिन्होंने मुगलों द्वारा बार बार हुए हमलो से मेवाड़ की रक्षा की , वे मेवाड़ के 54 वें राजपूत राजा थे।
महाराणा प्रताप एक ऐसे राजा थे , जिन्होंने मुग़ल शासक अकबर के विस्तारवाद की नीतियों के विरुद्ध अड़े रहे और उसका विरोध किया। परन्तु कभी भी मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता स्वविकार नहीं की।
जब महाराणा प्रताप ने मुग़ल शासक की अधीनता स्वविकार करने के सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया तब अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य हल्दी घाटी का युद्ध हुआ था।
पहले ऐसा कहा जाता रहा था की इस युद्ध को मुगलों ने जित लिया था। और महाराणा प्रताप को अपनी सेना के साथ पीछे हटना पड़ा था।
परन्तु हाल ही में मध्य प्रदेश के कुछ राजनीतिक दलों और राजपूत संगठनो द्वारा अनेक साक्ष्यों के आधार पे सरकार के समक्ष यह दावा पेश किया गया है। की हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हार नहीं हुयी थी।
आप लोगों को सुन के आश्चर्य हुआ होगा की लोग अक्सर महाराणा प्रताप के घोड़े के विषय में बात करते है , परन्तु हम हाथी के विषय में क्यों बात कर रहे हैं। जिस प्रकार से महाराणा प्रताप के घोड़े को उसके साहस और वीरता के लिए याद किया जाता है , उसी प्रकार से महाराणा प्रताप के सबसे पसंदीदा हाथी के भी बहोत से किस्से मौजूद हैं।
महाराणा प्रताप के हाथी का नाम रामदास था। रामदास हाथी के विषय में कहा जाता है की वह बेहद ताकतवर और होशियार हाथी था।
हल्दी घाटी युद्ध में रामदास हाथी ने मुग़ल सेना के कई हाथियों और सैनिको को मार डाला था। जिसकी वजह से मुग़ल सेनापति ने जाल बिछा के रामदास हाथी को बंदी बनवा लिया था , और उसे अपनी सेना में शामिल कर लिया था।
कहा जाता है की महाराणा प्रताप से दूर होने के कारण रामदास हाथी ने 18 दिनों तक खाना - पीना छोड़ दिया था। जिसकी वजह से 18 दिनों के बाद उसकी मृत्यु हो गयी थी। इस प्रकार से रामदास हाथी को उसके साहस , पराक्रम और स्वामिभक्त होने के कारण याद किया जाता है।
वैसे तो महाराणा प्रताप की सेना में बहोत से घोड़े मौजूद थे , जो युद्ध में शामिल हुआ करते थे। आज हम उस घोड़े की बात कर रहे है जो महाराणा प्रताप के लिए बेहद खास और वफादार था।
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था। चेतक बेहद शक्तिशाली , बुद्धिमान और फुर्तीला था। ऐसा कहा जाता है की हल्दीघाटी युद्ध में युद्ध लड़ते समय चेतक का एक पैर कट गया था।
परन्तु इसके पश्चात भी चेतक ने महाराणा प्रताप को युद्ध् भूमि के बिच से सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहा था। इसी दौरान चेतक ने रास्ते में पड़े 25 फीट के नाले को भी एक छलांग में पार कर गया था। लेकिन बुरी तरह से जख्मी होने के कारण चेतक की मृत्यु हो गयी थी।
हल्दी घाटी युद्ध के पश्चात् 12 वर्षों तक अकबर ने बहोत से प्रयास किये परन्तु महाराणा प्रताप के राज्य सीमा में कोई परिवर्तन नहीं कर सका। 1585 के पश्चात अपनी सभी कोशिशों से हार मान के उसने मेवाड़ को अपने अधीन करने का विचार छोड़ दिया था।
इस प्रकार से महाराणा प्रताप मेवाड़ की प्रजा के साथ सुख चैन से शासन करने लगे। 19 जनवरी 1597 को महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गयी।